संयुक्त राष्ट्र। इंटरनेट मंच का चरमपंथियों द्वारा दुरुपयोग रोकने के लिए बनाई गई एक निगरानी संस्था का न्यूजीलैंड और फ्रांस के नेता समर्थन कर रहे हैं। यह संस्था भविष्य में होने वाले हमलों की त्वरित प्रतिक्रिया पर भी काम करती है। न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डेन ने सोमवार को कहा कि इंटरनेट संपर्क वाले आतंकी हमलों के बाद फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, ट्विटर और यूट्यूब ने वर्ष 2017 में ग्लोबल फोरम टू काउंटर टेरेरिज्म की स्थापना की थी। अब इस संस्था को स्वतंत्र संगठन में तब्दील किया जा रहा है। अर्डेन ने कहा कि नया संगठन इंटरनेट मंच और सेवाओं का संचालन करने वाली कंपनियों तक सीमित होगा और इसका नेतृत्व एक कार्यकारी निदेशक करेंगे। कार्यकारी निदेशक का चयन उद्योग से जुड़ा संचालन बोर्ड करेगा। संचालन बोर्ड को एक स्वतंत्र सलाहकार समिति मार्गदर्शन देगी। समिति में नागरिक समाज के लोगों की संख्या अधिक होगी जबकि सरकार और अंत: सरकारी संगठनों के सदस्यों की संख्या कम होगी। अर्डेन ने कहा कि एक स्वतंत्र संगठन का गठन करना यह दिखाता है कि समर्थकों को जुटाने और ऑनलाइन हमलों को अंजाम देने वाले उग्रवादियों के कठिन और गंभीर मुद्दे को लेकर प्रतिक्रिया में बहुत बड़ा बदलाव आया है। न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च मे दो मस्जिदों पर हमला कर 51 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस घटना को फेसबुक पर लाइव दिखाया गया था। इस पर कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई थी। इसके साथ ही सोशल मीडिया के बेहतर नियमन को लेकर बहस छिड़ गई थी। फोरम की वर्तमान अध्यक्ष हैं फेसबुक की मुख्य संचालन अधिकारी शेरिल सेंडबर्ग। सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘‘ हमने अपने साझेदारों के साथ दो लाख से अधिक ‘डिजिटल फिंगरप्रिंट’ साझा किए हैं क्योंकि आतंकवादी एक प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने के बाद सभी प्लेफॉर्म का इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब हममें से कोई भी उन्हें पहचान लेगा तो हम अन्य कई प्लेटफॉर्म से उन्हें हटा सकते हैं।’’ पेरिस में मई में अर्डेन, फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों और अन्य ने ‘‘क्राइस्टचर्च कॉल’’ पर हस्ताक्षर किए थे, जो ऑनलाइन आतंकवादी और चरमपंथी सामग्री के खिलाफ कार्रवाई से संबंधित है।
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